Page 57 - PTC vadodara e-स्मरणिका - 1
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ई-प का डाक श ण क , वडोदरा
आदमी
नह कछ कह रहा है आदमी,
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जु कतन सह रहा है आदमी,
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खडहर इितहास क टूटत ,
इस तरह कछ ढह रहा है आदमी,
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आँसुओ और सस कय क भीड़ म े
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जान कस हँस रहा है आदमी,
रोशनी हर रा क गुल हुई ,
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अंधर म धस रहा है आदमी,
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बुझा सा हर दन यहा पर दख रहा है ,
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सफ तन स जी रहा है आदमी,
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इसक पहल ा नज़र आया कम ,
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दूर इतना आदमी स आदमी,
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उमाशकर वद
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Roll NO- K-14 (SA - 239 Batch)
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