Page 33 - 2nd Edition E-Patrika
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7. ान एव कौशल सग्रह प्रस्तुित
मानव शर र प रागों का प्रभाव...
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मानव शर र प रागों का प्रभाव...
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सगीत एव मानव शर र का एक अनूठा रश्ता रहा ह। पौरा णक ग्रथा क े अनुसार, जब सृ ष्ट
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क रचना नह हुइ थी, तब क े वल "नाद" (ध्व न) था — वह ध्व न थी ‘ॐ’ जसे प्रणव मत्र क े रूप
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म जाना जाता ह। इस नाद से ही ब्र ा का प्राकट्य हुआ, जन्हा ने सृ ष्ट क रचना क ।
श्री क ृ ष्णने कहा ह
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“नाह वसा म वक ु ठ े यो गना हृदये न च | मद्भक्ता यत्र गाय न्त तत्र त ा म नारद ||”
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अथा त हे नारद ! म न तो बक ु ठ म ही रहता और न यो गया क े हृदय म ही रहता । म तो वह रहता
, जहा मेरे भक्त मेरे नाम का क त न कया करते ह।
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अगर भारतीय शास्त्रीय सगीत क े इ तहास पे दृ ष्ट डाली जाए तो अकबर क े नव रत्नोम से
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एक एेसे तानसेन एव वड ् नगर (गुजरात) क दो बहना क कथा अत्यत प्र सद्ध एवम रोचक ह। अकबर
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क े कहने पर तानसेन जी ने राग “दीपक” तो गाया परतु इस राग से उत्पन्न दाह को कोइ अगर शात
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कर सकता था तो वो था कसी गायक ारा गाया राग “मल्हार”। गुजरात क दो बहने ताना एव र र
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ने राग मल्हार गाक े इस जलन और दाह को शात कया था। इसी याद म आज भी गुजरात क े वड़नगर
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म हर साल तनार र महोत्सव मनाया जाता ह। इस कथा को अगर व ा नक नजर से देखा जाए तो
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राग दीपक म यह श क्त ह क वह hyper acidity उत्पन्न करता ह वह राग मल्हार उसका इलाज
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ह। एसे बहुत सारे उदाहरण हमे पुराण एव इ तहास म मल गे जो हमारे शास्त्रीय सगीत क े अप्र तम
वरासत को दशा ते ह।
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भारतीय शास्त्रीय सगीत म रागा क एक अनूठ और महत्वपूण भू मका ह। राग क े वल सुरा का सयोग नह होता, ब ल्क यह
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एक व शष्ट भावना और ऊजा का सप्रेषण करता ह, जो श्रोता क े मन और शर र पर गहरा प्रभाव डालता ह। प्राचीन काल से यह
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माना जाता रहा ह क रागा क े माध्यम से न क े वल मान सक शा त प्राप्त क जा सकती ह, ब ल्क शार रक और मान सक
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बीमा रया का उपचार भी सभव ह। हर राग एक वशेष समय पर गाया जाता ह और उसका सीधा प्रभाव मन क अवस्था पर
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पड़ता ह।
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उदाहरण स्वरूप:
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* राग यमन को सध्या समय गाया जाता ह और यह मान सक शा त व एकाग्रता प्रदान करता ह।
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* राग भरव, जो प्रातःकालीन राग ह, भय, तनाव और चता को कम करने म सहायक होता ह।
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* राग दरबार गभीरता और ग रमा से भरपूर होता ह और अवसाद (depression) को दूर करने म
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सहायक माना जाता ह।
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* राग मल्हार शा त और शीतलता का अनुभव कराता ह, इसका सबध वषा ऋतु से ह और यह वातावरण
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को भी प्रभा वत करता ह।
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* राग देश देशभ क्त और उमग जगाने म सहायक होता ह।
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आज क े इस युग म जब मनुष्य अत्यत तनाव युक्त जीवन व्यतीत कर रहा ह तब एक एेसी थेरेपी क आवश्यकता ह जो उसे
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सुखी, स्वस्थ जीवन जीने म उपयुक्त हो। इसम हमारे भारतीय शास्त्रीय राग उपयुक्त हो सकते ह। भारतीय राग प्रणाली क े वल
कला का माध्यम नह ह, यह एक व ा नक और आध्या त्मक प्र या ह, जो मानव शर र और म स्तष्क को सतुलन म रखने म
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मदद करती ह। य द रागा का अभ्यास या श्रवण नय मत रूप से और सही समय पर कया जाए, तो यह जीवन म मान सक
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सतुलन, शार रक स्वास्थ्य और आ त्मक शा त प्रदान कर सकता ह।
पूव पडया
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अनुदेशक
पी.टी.सी. वड़ोदरा
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